कटटर हिंदू :- क्या होता है कटटर हिन्दू ??
यह सवाल आजकल मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है l
आजादी के बाद से म देखता आ रहा हूँ की लोग अपने आपको कटटर हिन्दू कहने से डरने लगे है l
अब जैसा की मैने लिखा है कि लोग खुद को कटटर हिन्दू कहने से घबराते है तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी की लोग जो लोग अपने आपको कटटर हिन्दू मानेंगे वो और भी कम होंगे परन्तु ऐसा आखिर है क्यों।
अपने धरम में पूर्ण आस्था रखना कैसे गलत हो सकता है। कतई गलत नही हो सकता।
कटटर हिन्दू होने का यह तो कतई मतलब नही हो सकता की हम दूसरे विचार वाले व्यक्ति का आदर न करें या नही करेंगे या उनकी जो मान्यता है उसे उन्हें पूरा न करने दे या फिर उन्हें हमारे साथ रहने का हक़ न देंगे।
जब ऐसा नही है तो क्यों ह ऐसा की कटटर हिन्दू होने को राजनीती की भाषा में लगभग एक गाली की तरह इस्तमाल किया जाने लगा है।
और दूसरी तरफ अगर कोई और मान्यता वाला व्यक्ति अपनी मान्यताओ का पालन करे तो वो सही है। लेकिन अगर आप एक हिन्दू हो तो आप अपने धरम की मान्यताओ का पालन नही कर सकते। बहुत खूब यह बात मेरी तो समझ से परे हो गयी है।
कोई दूसरी मान्यता वाला आदमी अगर अपनी मान्यताओ का कट्टरता से पालन करे तो वो एक धार्मिक व्यक्ति है यही काम अगर एक हिन्दू करे तो वो गलत है।
हमारे देश में आजके टाइम में बहुत से सेक्युलर लोग हैं लेकिन अगर आप धयान देंगे तो सेक्युलर कौन है हमारे देश में जो हिन्दू धर्म का पालन करने वालों की धार्मिक भवनो को आहत करे या फिर उनकी आलोचना करे।
मुझे याद आती है हमारे प्राइम मिनिस्टर मोदी जी की एक बात की उन्होंने किसी मोके पर मुस्लिम भ्राताओं में पहने जाने वाली टोपी को पननने से इंकार कऱ दिया तो उनकी इस बात पर बहुत आलोचना की जाती है की भाई मोदी जी तो कट्टर हिन्दू है, अगर मोदी जी की अपने धरम में पूरी आस्था है तो इसमें गलत क्या है मुझे तो नही लगती , उन्हें पूरी आजादी ह अपने विचारो की रक्षा का और मान्यताओ को चरित्राथ करने का। और ये तो बहुत अछि बात है की हमें एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो अपने विचारो में कन्फ्यूज्ड नहीं है वो एकदम साफ़ है की उन्हें क्या करना है और क्या नहीं।
एक और बात मुझे जो आहात करती है की आरएसएस ( राष्ट्रीय सवयं सेवक संघ ) एक आतंकवादी संघटन की तरह दिखाने की कोशिश लगातार होती रहती है , जबकि इस संघ के प्रचारक कितने त्याग करते है प्रचारक बनकर और अपनी पूरी जिंदगी समर्पित केर देते ह देश की सेवा के लीये। वो कोई भौतिक सुख की इछा नही करते और ये केवल एक सोच नहीं है बल्कि एक सत्य है
मैं एक प्रचारक के त्याग के बारे में लिख रहा हु निचे :--
१. एक प्रचारक को अपने सभी भौतिक सुखो को त्यागना पड़ता है अपने सांसारिक जीवन को छोड़ कर देश हित में खुद को समर्पित करना होता है।
२. उन्हें शिक्षा दी जाती है वो क्लास रूम में नहीं बल्कि कड़ी धुप में जो काम उन्हें सौंपा जाता है उन्हें पूरा करके दी जाती है।
३. ये अपना जीवन एक कमरे में कुछ कपड़ो के साथ बिताते है कपडे वो भी दो तीन जोड़ी।
४. उन्हें खाने के लिए पकवान नही दिए जाते बल्कि उन्हें पेट भरने के लिए ही थोड़ा सा भोजन दिया जाता है।
५ और उन्हें हर दिन कुछ काम दिए जाते है जो उन्हें पूरे करने पड़ते है।
६. एक प्रचारक अपना भोजन खरीद कर नहीं बल्कि अपने वयवहार से समाज के लोगो से कमाता है जिससे की वो साधारण जनता के करीब आ सके।
यह बस थोड़ी सूची ह जिससे आप अवगत होंगे की एक प्रचारक क्या क्या त्याग करता होगा जीवन में और ये किसके लिए करते है यह सब क्या उनके परिवार नहीं होते??? इनकी भावनाए नहीं होती???
यह वो करते है अपने देश हित के लिए।
वो किसीको नुक्सान नहीं पहुचाते ये बात समझने वाली है। किसी भौतिक सुख की भावना से ये सब नहीं करते।
तो क्या वो हमारे सम्मान के हक़दार नहीं है ??बिलकुल है।
एक बात और इन्हे किसी भी तरह से नहीं सिखाया जाता की ये किसी और धरम के व्यक्ति को हीन भावना से देखेंगे। इन्हे सीखाया जाता है तो बस अपने देश हित में काम करना।
लेकिन आज अगर हमारे देश में हिन्दू होना एक पाप है तो केवल इस लिए की हमरे देश पऱ कथित सेकुलरो ने राज किया है इतने समय तक जिनका मुख्या उद्देश्य था तो बस अपने हित साधना।
और अपने हितो को को पूरा करने के लिए ही इन्होने हमारे देश को बाँट दिया है न केवल हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाईयों में बल्कि धर्मो में भी विभाजन कर दिया है जातियों के आधार पर।
और आरक्षण का यह विकृत रूप आज इसी का परिणाम है।
एक व्यक्ति की रोटी छीनकर दूसरे को दे देना कभी सही न था न हो सकता है।
हमें गर्व होना चाहिए कटटर हिन्दू बनकर और हमें एक सुर में दोहराना चाहिए की हाँ में कटटर हिन्दू हुँ।
हिन्दू धरम की उदारता और कटटर हिन्दू राजाओ की कटटरता को उजागर करती हुई एक वक्तव्य मोदी जी के द्वारा बतया गया कुछ इस तरह है :-- यह तथ्य ईरानी किताब से लिया गया है जिसके अनुसार एक बार ईरानी लोग जो किसी धरम में आस्था रखते थे भारत में आये और वहा के एक कटटर राजा से मांग की कि हमें यहाँ रहने की इजाजत दी जाये। राजा ने कहा ठीक है आप यहाँ रह सकते है तब उन्होंने कहा कि हम अपने रहने के जगह पर एक अग्नि प्रज्जवलित करते है जो एक पवित्र अग्नि है तो उसके ५० km. सनीध्या में किसी और धर्म का व्यक्ति नही आना चाहिए। तब राजा ने कहा की ठीक है आप यहाँ शांति से रह सकते है और आप के कार्य में कोई बाधा डाले इसकी वयवस्था में करता हु।
ऐसे होते है कटटर हिन्दू और इतना उदार है हिन्दू धर्म।
और इस उदारता के लिए हमरे हिन्दू धर्म की तारीफ करी है ईरानी किताब में की हम जहा भी गए सबने हमसे धर्म प्रतिवर्तन की मांग की एक केवल हिन्दू ही ऐसा था जिसने कोई विरोध नहीं किया और हमें पूरा आदर सम्मान दिया। हिन्दू धर्म है ही ऐसा।
परन्तु लोगो ने जिन्हे समझ नहीं है धरम की और जिन्हे अपने हित पुरे करने से मतलब था उन्होंने धर्म को ऐसा तोडा मरोड़ा कि कटटर हिंन्दु होना ही गाली होगया है आज।
ये कौन लोग लोग है यह वो लोग है जो ऐसे खानदानों से जुड़े है जो अंग्रेजो के चापलूस थे और पाश्चात्य संस्कृति के देश में वाहक बने। या फिर वो गद्दार राजा जिन्होंने अपने ऐशोआराम की रक्षा करने के लिए अंग्रेजो की धस्ता स्वीकार की।
और हैरानी कि बात ये है कि ये लोग अभी भी हमारे देश में ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे है।
जिसमे प्रमुख है सिंधिया परिवार जो अभी भी देश मे राज कर रहे है और अपनी मतलब परस्ती से देश को बर्बाद करने में और संस्कृति को डुबोने में लगे हुए है। महाराणा प्रताप का खानदान भी इसी श्रेणी में है जिन्होंने अंग्रेजो की गुलामी की। उदयपुर में अभी भी राजमहल में रह रहे है।
अब अगर कांग्रेश पार्टी की बात हो ही रही है तो दिग्विजय सिंह को हम कैसे भूल सकते है जिन्हे ६५ साल की उम्र में दूसरी शादी करने का ख्याल आया है। क्या ये लोग हिन्दू धरम को वर्णित करने की क्षमता रखते है?? नहीं कतई नहीं।
इसी तरह के है ये कथित सेक्युलर लोग जिन्होंने हिन्दू धर्म को हमेशा ही अपनी रोट्या सेकने का तवा बना कर रखा है आज जरुरत है सभी को ये समझने की कि ये किसी के सगे नहीं है केवल आपको आज हितैषी बनकर दिखा रहे है जो कि ये हमेशा करते आये है। लेकिन ये बस आपको गर्त में धकेल रहे थे अब तक। अगर मैं किसी गरीब को एक दिन भर पेट खाना खिला दू तो इसका मतलब कतई ये नहीं है कि साल भर तक भूक नहीं लगेगी। तो ये मौकापरस्त लोग आपको एक ही दिन भर पेट खिलते है और भी आप बाकि पांच साल भूखे मरते है क्युकी इन्हे तो अपनी अय्याशियों से ही फुर्सत नहीं मिलती। जानने के लिए इन लोगो की जीवन शैली के बारे में जाने आप अपने आप समझ जायेगे की यह सभी बरसाती मेढक है।
भाव है की हमें कटटर हिन्दू होने पैर गर्व होना चहिये।
क्युकी एक कटटर हिन्दू केवल देश और देश के लोगो की हित की बात करता है न की उन्हें विभाजित करके अपने हितो की पूर्ती करता है।
यह सवाल आजकल मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है l
आजादी के बाद से म देखता आ रहा हूँ की लोग अपने आपको कटटर हिन्दू कहने से डरने लगे है l
अब जैसा की मैने लिखा है कि लोग खुद को कटटर हिन्दू कहने से घबराते है तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी की लोग जो लोग अपने आपको कटटर हिन्दू मानेंगे वो और भी कम होंगे परन्तु ऐसा आखिर है क्यों।
अपने धरम में पूर्ण आस्था रखना कैसे गलत हो सकता है। कतई गलत नही हो सकता।
कटटर हिन्दू होने का यह तो कतई मतलब नही हो सकता की हम दूसरे विचार वाले व्यक्ति का आदर न करें या नही करेंगे या उनकी जो मान्यता है उसे उन्हें पूरा न करने दे या फिर उन्हें हमारे साथ रहने का हक़ न देंगे।
जब ऐसा नही है तो क्यों ह ऐसा की कटटर हिन्दू होने को राजनीती की भाषा में लगभग एक गाली की तरह इस्तमाल किया जाने लगा है।
और दूसरी तरफ अगर कोई और मान्यता वाला व्यक्ति अपनी मान्यताओ का पालन करे तो वो सही है। लेकिन अगर आप एक हिन्दू हो तो आप अपने धरम की मान्यताओ का पालन नही कर सकते। बहुत खूब यह बात मेरी तो समझ से परे हो गयी है।
कोई दूसरी मान्यता वाला आदमी अगर अपनी मान्यताओ का कट्टरता से पालन करे तो वो एक धार्मिक व्यक्ति है यही काम अगर एक हिन्दू करे तो वो गलत है।
हमारे देश में आजके टाइम में बहुत से सेक्युलर लोग हैं लेकिन अगर आप धयान देंगे तो सेक्युलर कौन है हमारे देश में जो हिन्दू धर्म का पालन करने वालों की धार्मिक भवनो को आहत करे या फिर उनकी आलोचना करे।
मुझे याद आती है हमारे प्राइम मिनिस्टर मोदी जी की एक बात की उन्होंने किसी मोके पर मुस्लिम भ्राताओं में पहने जाने वाली टोपी को पननने से इंकार कऱ दिया तो उनकी इस बात पर बहुत आलोचना की जाती है की भाई मोदी जी तो कट्टर हिन्दू है, अगर मोदी जी की अपने धरम में पूरी आस्था है तो इसमें गलत क्या है मुझे तो नही लगती , उन्हें पूरी आजादी ह अपने विचारो की रक्षा का और मान्यताओ को चरित्राथ करने का। और ये तो बहुत अछि बात है की हमें एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो अपने विचारो में कन्फ्यूज्ड नहीं है वो एकदम साफ़ है की उन्हें क्या करना है और क्या नहीं।
एक और बात मुझे जो आहात करती है की आरएसएस ( राष्ट्रीय सवयं सेवक संघ ) एक आतंकवादी संघटन की तरह दिखाने की कोशिश लगातार होती रहती है , जबकि इस संघ के प्रचारक कितने त्याग करते है प्रचारक बनकर और अपनी पूरी जिंदगी समर्पित केर देते ह देश की सेवा के लीये। वो कोई भौतिक सुख की इछा नही करते और ये केवल एक सोच नहीं है बल्कि एक सत्य है
मैं एक प्रचारक के त्याग के बारे में लिख रहा हु निचे :--
१. एक प्रचारक को अपने सभी भौतिक सुखो को त्यागना पड़ता है अपने सांसारिक जीवन को छोड़ कर देश हित में खुद को समर्पित करना होता है।
२. उन्हें शिक्षा दी जाती है वो क्लास रूम में नहीं बल्कि कड़ी धुप में जो काम उन्हें सौंपा जाता है उन्हें पूरा करके दी जाती है।
३. ये अपना जीवन एक कमरे में कुछ कपड़ो के साथ बिताते है कपडे वो भी दो तीन जोड़ी।
४. उन्हें खाने के लिए पकवान नही दिए जाते बल्कि उन्हें पेट भरने के लिए ही थोड़ा सा भोजन दिया जाता है।
५ और उन्हें हर दिन कुछ काम दिए जाते है जो उन्हें पूरे करने पड़ते है।
६. एक प्रचारक अपना भोजन खरीद कर नहीं बल्कि अपने वयवहार से समाज के लोगो से कमाता है जिससे की वो साधारण जनता के करीब आ सके।
यह बस थोड़ी सूची ह जिससे आप अवगत होंगे की एक प्रचारक क्या क्या त्याग करता होगा जीवन में और ये किसके लिए करते है यह सब क्या उनके परिवार नहीं होते??? इनकी भावनाए नहीं होती???
यह वो करते है अपने देश हित के लिए।
वो किसीको नुक्सान नहीं पहुचाते ये बात समझने वाली है। किसी भौतिक सुख की भावना से ये सब नहीं करते।
तो क्या वो हमारे सम्मान के हक़दार नहीं है ??बिलकुल है।
एक बात और इन्हे किसी भी तरह से नहीं सिखाया जाता की ये किसी और धरम के व्यक्ति को हीन भावना से देखेंगे। इन्हे सीखाया जाता है तो बस अपने देश हित में काम करना।
लेकिन आज अगर हमारे देश में हिन्दू होना एक पाप है तो केवल इस लिए की हमरे देश पऱ कथित सेकुलरो ने राज किया है इतने समय तक जिनका मुख्या उद्देश्य था तो बस अपने हित साधना।
और अपने हितो को को पूरा करने के लिए ही इन्होने हमारे देश को बाँट दिया है न केवल हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाईयों में बल्कि धर्मो में भी विभाजन कर दिया है जातियों के आधार पर।
और आरक्षण का यह विकृत रूप आज इसी का परिणाम है।
एक व्यक्ति की रोटी छीनकर दूसरे को दे देना कभी सही न था न हो सकता है।
हमें गर्व होना चाहिए कटटर हिन्दू बनकर और हमें एक सुर में दोहराना चाहिए की हाँ में कटटर हिन्दू हुँ।
हिन्दू धरम की उदारता और कटटर हिन्दू राजाओ की कटटरता को उजागर करती हुई एक वक्तव्य मोदी जी के द्वारा बतया गया कुछ इस तरह है :-- यह तथ्य ईरानी किताब से लिया गया है जिसके अनुसार एक बार ईरानी लोग जो किसी धरम में आस्था रखते थे भारत में आये और वहा के एक कटटर राजा से मांग की कि हमें यहाँ रहने की इजाजत दी जाये। राजा ने कहा ठीक है आप यहाँ रह सकते है तब उन्होंने कहा कि हम अपने रहने के जगह पर एक अग्नि प्रज्जवलित करते है जो एक पवित्र अग्नि है तो उसके ५० km. सनीध्या में किसी और धर्म का व्यक्ति नही आना चाहिए। तब राजा ने कहा की ठीक है आप यहाँ शांति से रह सकते है और आप के कार्य में कोई बाधा डाले इसकी वयवस्था में करता हु।
ऐसे होते है कटटर हिन्दू और इतना उदार है हिन्दू धर्म।
और इस उदारता के लिए हमरे हिन्दू धर्म की तारीफ करी है ईरानी किताब में की हम जहा भी गए सबने हमसे धर्म प्रतिवर्तन की मांग की एक केवल हिन्दू ही ऐसा था जिसने कोई विरोध नहीं किया और हमें पूरा आदर सम्मान दिया। हिन्दू धर्म है ही ऐसा।
परन्तु लोगो ने जिन्हे समझ नहीं है धरम की और जिन्हे अपने हित पुरे करने से मतलब था उन्होंने धर्म को ऐसा तोडा मरोड़ा कि कटटर हिंन्दु होना ही गाली होगया है आज।
ये कौन लोग लोग है यह वो लोग है जो ऐसे खानदानों से जुड़े है जो अंग्रेजो के चापलूस थे और पाश्चात्य संस्कृति के देश में वाहक बने। या फिर वो गद्दार राजा जिन्होंने अपने ऐशोआराम की रक्षा करने के लिए अंग्रेजो की धस्ता स्वीकार की।
और हैरानी कि बात ये है कि ये लोग अभी भी हमारे देश में ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे है।
जिसमे प्रमुख है सिंधिया परिवार जो अभी भी देश मे राज कर रहे है और अपनी मतलब परस्ती से देश को बर्बाद करने में और संस्कृति को डुबोने में लगे हुए है। महाराणा प्रताप का खानदान भी इसी श्रेणी में है जिन्होंने अंग्रेजो की गुलामी की। उदयपुर में अभी भी राजमहल में रह रहे है।
अब अगर कांग्रेश पार्टी की बात हो ही रही है तो दिग्विजय सिंह को हम कैसे भूल सकते है जिन्हे ६५ साल की उम्र में दूसरी शादी करने का ख्याल आया है। क्या ये लोग हिन्दू धरम को वर्णित करने की क्षमता रखते है?? नहीं कतई नहीं।
इसी तरह के है ये कथित सेक्युलर लोग जिन्होंने हिन्दू धर्म को हमेशा ही अपनी रोट्या सेकने का तवा बना कर रखा है आज जरुरत है सभी को ये समझने की कि ये किसी के सगे नहीं है केवल आपको आज हितैषी बनकर दिखा रहे है जो कि ये हमेशा करते आये है। लेकिन ये बस आपको गर्त में धकेल रहे थे अब तक। अगर मैं किसी गरीब को एक दिन भर पेट खाना खिला दू तो इसका मतलब कतई ये नहीं है कि साल भर तक भूक नहीं लगेगी। तो ये मौकापरस्त लोग आपको एक ही दिन भर पेट खिलते है और भी आप बाकि पांच साल भूखे मरते है क्युकी इन्हे तो अपनी अय्याशियों से ही फुर्सत नहीं मिलती। जानने के लिए इन लोगो की जीवन शैली के बारे में जाने आप अपने आप समझ जायेगे की यह सभी बरसाती मेढक है।
भाव है की हमें कटटर हिन्दू होने पैर गर्व होना चहिये।
क्युकी एक कटटर हिन्दू केवल देश और देश के लोगो की हित की बात करता है न की उन्हें विभाजित करके अपने हितो की पूर्ती करता है।
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